NEET UG Result Court Stay: नीट यूजी 2025 की परीक्षा 4 मई को देशभर में आयोजित की गई थी लेकिन मध्य प्रदेश के इंदौर में परीक्षा के दौरान हुए एक बड़े हादसे ने अब इस परीक्षा के परिणाम पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इंदौर के कई परीक्षा केंद्रों पर बिजली गुल होने की वजह से हजारों छात्रों को अंधेरे में पेपर देना पड़ा। इस गंभीर लापरवाही के खिलाफ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई जिसके बाद कोर्ट ने नीट यूजी के परिणाम पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। यह फैसला न केवल प्रभावित छात्रों के लिए राहत की खबर है बल्कि देश की परीक्षा प्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाता है। आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
इंदौर में बिजली गुल छात्रों का भविष्य अधर में
4 मई को नीट यूजी 2025 की परीक्षा के दौरान इंदौर के करीब 11-12 परीक्षा केंद्रों पर भारी बारिश और तेज हवाओं की वजह से बिजली आपूर्ति ठप हो गई। लगभग 2.7 इंच बारिश और 120 किमी/घंटा की रफ्तार वाली हवाओं ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। कई परीक्षा केंद्र अंधेरे में डूब गए और छात्रों को मोमबत्ती या टॉर्च की रोशनी में प्रश्नपत्र पढ़ने पड़े। इस स्थिति में सही तरीके से उत्तर देना कई छात्रों के लिए मुश्किल हो गया। कुछ छात्रों ने तो तनाव में आकर परीक्षा के बाद रोना शुरू कर दिया। इस घटना ने करीब 5,000 से अधिक छात्रों को प्रभावित किया जिनका भविष्य अब अनिश्चितता के साये में है।
हाई कोर्ट का सख्त रुख
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया। प्रभावित छात्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को कठघरे में खड़ा किया। कोर्ट ने साफ कहा कि बिजली की कमी केवल तकनीकी खराबी नहीं बल्कि हजारों छात्रों के भविष्य से जुड़ा एक गंभीर मुद्दा है। कोर्ट ने एनटीए, स्थानीय बिजली कंपनी और संबंधित परीक्षा केंद्रों को नोटिस जारी कर 30 जून तक जवाब मांगा है। तब तक नीट यूजी 2025 का परिणाम घोषित नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी पूछा कि ऐसी स्थिति में बैकअप व्यवस्था क्यों नहीं थी और इसके लिए जिम्मेदार कौन है। इस फैसले ने उन छात्रों को उम्मीद की किरण दी है, जो इस लापरवाही का शिकार हुए।
एनटीए पर सवाल, परीक्षा केंद्रों की तैयारी में कमी
हाई कोर्ट ने एनटीए की कार्यप्रणाली पर गहरी नाराजगी जताई। कोर्ट का मानना है कि जिन केंद्रों पर बिजली नहीं थी वहां छात्रों के साथ अन्याय हुआ जिसने परीक्षा की निष्पक्षता को प्रभावित किया। नीट जैसी राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में बिजली जैसी बुनियादी सुविधा का अभाव होना परीक्षा केंद्रों की खराब तैयारी को दर्शाता है। एनटीए की चयन प्रक्रिया में कथित तौर पर एक करोड़ रुपये की जमानत राशि के साथ सख्त नियम शामिल हैं, फिर भी बैकअप जनरेटर जैसी जरूरी व्यवस्था न होना हैरान करने वाला है। कोर्ट ने एनटीए से पूछा कि ऐसी स्थिति से निपटने के लिए उसकी क्या योजना थी और भविष्य में इसे कैसे रोका जाएगा।
छात्रों की मांग, दोबारा हो परीक्षा
प्रभावित छात्रों ने हाई कोर्ट में मांग की है कि जिन केंद्रों पर बिजली गुल होने की वजह से परीक्षा प्रभावित हुई वहां दोबारा परीक्षा आयोजित की जाए। उनका तर्क है कि अंधेरे में पेपर देना न केवल कठिन था बल्कि यह उनके प्रदर्शन पर भी असर डालने वाला था। इतिहास में ऐसे उदाहरण मौजूद हैं जहां समान परिस्थितियों में दोबारा परीक्षा कराई गई। उदाहरण के लिए, 2016 में ओडिशा में चक्रवात के कारण प्रभावित छात्रों के लिए नीट की दोबारा परीक्षा हुई थी। इसी तरह 2022 में होशंगाबाद के एक केंद्र पर भी पुनर्परीक्षा आयोजित की गई थी। छात्रों का मानना है कि इस बार भी उन्हें ऐसा ही मौका मिलना चाहिए ताकि उनकी मेहनत बेकार न जाए।